जिनको थी हमसे मोहब्बत आज वो जलने लगे
साथ चलते चलते दूर वो चलने लगे....
किसपे भरोषा करे हम दोस्ती पर "नाज़" क्या
यार भी गिरगिट की तरह रंग बदलने लगे..
क़त्ल के धब्बे नहीं छूटे हैं जिनके आज तक
अब सुना वो ज़िन्दगी के फैसले करने लगे...
लोग कहते हैं बड़े लोगो के कदमों पर चलो
क्या करें ये लोग भी परवाज़ अब भरने लगे..
रह चलने का जिन्हें ऐ दोस्त सलीका न था
अब ज़माना आ गया वो रहनुमा बन्ने लगे..
**............नसरीन.............**
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