Saturday, 31 December 2011

HAQEEKAT


जिनको थी हमसे मोहब्बत आज वो जलने लगे
साथ चलते चलते दूर वो चलने लगे....

किसपे भरोषा करे हम दोस्ती पर "नाज़" क्या
यार भी गिरगिट की तरह रंग बदलने लगे.. 

क़त्ल के धब्बे नहीं छूटे हैं जिनके आज तक
अब सुना वो ज़िन्दगी के फैसले करने लगे...

लोग कहते हैं बड़े लोगो के कदमों पर चलो 
क्या करें ये लोग भी परवाज़ अब भरने लगे..

रह चलने का जिन्हें ऐ दोस्त सलीका न था
अब ज़माना आ गया वो रहनुमा बन्ने लगे..
 

**............नसरीन.............**


Wednesday, 28 December 2011

KYA LIKHUN KI LIKHNE KO ALFAAZ NAHI MILTE

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है काफी मेरे दिल में एहसास दबे हुए .........
क्या लिखूं की लिखने को अलफ़ाज़ नहीं मिलतें............!!
है तिश्नगी आँखों की जुस्तजू भी तू
क्या करूँ जो अपने परवाज़ नहीं मिलतें.........!!

है खलिश इस दिल की दरारों में कई 
क्या करूँ जो अपने एसास नहीं मिलते....!!

जी लें हम भी कभी मुकद्दर की गिरफ्त से छोट कर
क्या करूँ जो कामयाबी के राज़ नहीं मिलते.........!!

एक ज़ोस्त्जो  है, तिश्नगी है, एहसास MERAतू
क्या करूँ जो आपके मुक़दर के मिजाज़ नहीं मिलते.....!!

एहसास अपना, अपने सीने का गम बन गया.....
अब क्या कहूँ की  दिखाने को वो दाग नहीं मिलतें..........!!
                          
                                                                                                              .....................नसरीन......................